श्रीकृष्ण द्वारा पूतना वधभगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद कंस को आकाशवाणी से ज्ञात हुआ कि उसका वध करने वाला आठवां बालक गोकुल में जन्म ले चुका है। इस भय से उसने बालकृष्ण को मारने के लिए पूतना नामक राक्षसी को भेजा।पूतना बच्चों का वध करने में निपुण थी। उसने सुंदर स्त्री का रूप धारण किया और गोकुल पहुंची। उसकी सुंदरता और मोहक रूप को देखकर गोकुलवासी उस पर संदेह नहीं कर सके।
पूतना ने यशोदा से बालकृष्ण को गोद में लेने की इच्छा प्रकट की। यशोदा ने उसे बालकृष्ण को सौंप दिया।पूतना ने बालकृष्ण को अपने विषैले स्तन से दूध पिलाने का प्रयास किया। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसकी चाल को समझ गए।
उन्होंने उसके स्तन को इतनी जोर से पकड़ा कि पूतना की जान निकलने लगी। वह अपने असली राक्षसी स्वरूप में आ गई। उसकी चीख से गोकुलवासी भयभीत हो गए। अंततः श्रीकृष्ण ने पूतना का वध कर दिया।पूतना का विशालकाय शरीर जमीन पर गिर गया।
गोकुलवासी भगवान श्रीकृष्ण की इस चमत्कारी शक्ति को देखकर हैरान हो गए और उन्हें भगवान का अवतार मानने लगे।
शिक्षा:यह कथा हमें सिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, सत्य और ईश्वर की शक्ति के आगे टिक नहीं सकती। भगवान सदा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।