सिंधबाद की तीसरी यात्रा
(सिंधबाद जहाजी की कहानियों से)
सिंधबाद, जो एक बहादुर और साहसी नाविक था, अपनी तीसरी यात्रा पर निकला। इस बार वह एक बड़े जहाज पर सवार होकर व्यापार के लिए समुद्र की ओर बढ़ा। कुछ दिनों तक यात्रा सुखद रही, लेकिन अचानक एक विशाल तूफान आया।
जहाज बहक कर एक अजनबी द्वीप पर जा पहुंचा।यह द्वीप हरा-भरा और सुंदर था। सिंधबाद और उसके साथियों ने इसे जन्नत जैसा समझा।
लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यह द्वीप खतरों से भरा हुआ है। वे भोजन और पानी की तलाश में द्वीप पर घूमने लगे।जंगल में चलते-चलते सिंधबाद को एक विशाल पक्षी का घोंसला मिला।
यह पक्षी रुख़ (Rukh) था, जो अपनी विशालता के लिए प्रसिद्ध था। सिंधबाद ने उस पक्षी के बड़े-बड़े अंडे देखे। उसके साथी लालच में अंडों को तोड़ने लगे, लेकिन सिंधबाद ने उन्हें मना किया।
अचानक, रुख़ पक्षी वापस आ गया। वह गुस्से से चिल्लाया और अपनी विशाल पंखों से हवा का बवंडर बनाकर सिंधबाद और उसके साथियों पर हमला कर दिया। सब जान बचाने के लिए भागने लगे।
रुख़ ने उनका जहाज देख लिया और अपनी चोंच में बड़े-बड़े पत्थर उठाकर जहाज पर फेंकने लगा।किसी तरह सिंधबाद ने एक लकड़ी का टुकड़ा पकड़कर समुद्र में कूद कर अपनी जान बचाई।
उसके बाकी साथी मारे गए। सिंधबाद समुद्र की लहरों के सहारे बहता-बहता एक अन्य द्वीप पर पहुंचा।इस नए द्वीप पर वह एक अमीर व्यापारी से मिला, जिसने उसकी मदद की और उसे घर वापस भेजने का इंतजाम किया।
इस तरह सिंधबाद की तीसरी यात्रा भी खतरनाक लेकिन रोमांचक अनुभवों से भरी रही।
जब वह अपने घर लौटा, तो उसने अल्लाह का शुक्रिया अदा किया और अपनी कहानी सुनाकर सभी को चकित कर दिया।