मछुआरे की कहानी
एक समय की बात है, एक गरीब मछुआरा था जो हर दिन सुबह-सुबह समुद्र किनारे जाल लेकर मछली पकड़ने जाता था।
वह बहुत मेहनती और ईमानदार था। उसकी कमाई से बस इतना ही हो पाता कि वह अपने परिवार का पेट भर सके।
एक दिन की घटनाएक सुबह जब मछुआरा समुद्र के किनारे जाल फेंक रहा था, उसने देखा कि उसका जाल बहुत भारी हो गया है।
वह खुश हुआ और सोचने लगा कि आज बड़ी मछली पकड़ में आई होगी। जब उसने जाल को खींचकर बाहर निकाला, तो उसमें एक सुनहरी मछली फंसी हुई थी।मछली का अनोखा प्रस्तावमछली ने अचानक बोलना शुरू किया और मछुआरे से कहा, “हे मछुआरे! मुझे मत मारो।
अगर तुम मुझे छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हें मनचाहा वरदान दूंगी।”मछुआरा सुनकर हैरान हुआ, क्योंकि उसने पहले कभी किसी मछली को बोलते नहीं सुना था।
हालांकि, वह दयालु था और मछली को छोड़ने के लिए तैयार हो गया।मछुआरे की साधारण इच्छामछली ने पूछा, “बताओ, तुम्हारी क्या इच्छा है?”मछुआरे ने जवाब दिया, “मैं गरीब आदमी हूं। मेरे पास बस एक टूटी-फूटी झोपड़ी है।
अगर तुम मेरी झोपड़ी को एक सुंदर घर में बदल दो, तो मैं बहुत खुश हो जाऊंगा।”मछली ने कहा, “जाओ, तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी।”वरदान की सच्चाईमछुआरा जब घर लौटा, तो उसने देखा कि उसकी झोपड़ी एक सुंदर घर में बदल गई है।
उसकी पत्नी यह देखकर बहुत खुश हुई। लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी पत्नी और ज्यादा पाने की लालसा में पड़ गई।
उसने मछुआरे से कहा, “जाओ और उस सुनहरी मछली से और कुछ मांग लो।”पत्नी की लालचमछुआरा वापस समुद्र के किनारे गया और मछली को पुकारा।
मछली आई, और मछुआरे ने अपनी पत्नी की नई इच्छाएं बताईं। वह एक महल, राजा बनने और यहां तक कि समुद्र की देवी बनने की मांग करती गई।
हर बार मछली उसकी इच्छाएं पूरी करती गई।लालच का अंतलेकिन जब पत्नी ने समुद्र की देवी बनने की मांग की, तो मछली ने गुस्से में कहा, “जाओ, अपने घर लौट जाओ।” मछुआरा घर लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी के सभी महल और संपत्ति गायब हो चुकी थी। वे फिर से अपनी पुरानी झोपड़ी में आ गए थे।
कहानी से शिक्षायह कहानी हमें सिखाती है कि हमें संतोषी और कृतज्ञ होना चाहिए। लालच करने से न केवल जो हमारे पास है, वह छिन जाता है, बल्कि हमें पछताना भी पड़ता है।