राजा का उत्तराधिकारी कौन ? | Story Of The King And The Successor In Hindi

राजा और उत्तराधिकारी की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक बुद्धिमान और न्यायप्रिय राजा अपने राज्य पर शासन करता था। वह प्रजा का बहुत ध्यान रखता था, लेकिन उसकी एक चिंता थी—उसके पास कोई उत्तराधिकारी नहीं था। वह चाहता था कि उसके बाद कोई योग्य व्यक्ति राजा बने, जो राज्य को सही तरीके से चला सके।

राजा की योजनाएक दिन राजा ने घोषणा की कि वह अपने उत्तराधिकारी की खोज करेगा। इसके लिए उसने पूरे राज्य के युवाओं को महल में बुलाया और कहा, “मैं तुम सबको एक परीक्षा दूंगा। जो इसमें सफल होगा, वही अगला राजा बनेगा।”राजा ने सभी युवाओं को एक-एक बीज दिया और कहा, “इसे घर ले जाओ, एक गमले में लगाओ और छह महीने तक इसकी देखभाल करो।

फिर इसे मेरे पास वापस लाओ। जिसका पौधा सबसे अच्छा होगा, वही मेरा उत्तराधिकारी बनेगा।”ईमानदार युवक का संघर्षसभी युवक बीज लेकर चले गए। उनमें से एक था अर्जुन, जो बहुत ईमानदार और मेहनती था। उसने बीज को अच्छे से मिट्टी में लगाया, रोज पानी दिया, धूप में रखा, और पूरी देखभाल की।

लेकिन हफ्तों बीत गए और बीज में कोई अंकुर नहीं निकला।अर्जुन परेशान था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने मिट्टी बदली, ज्यादा ध्यान दिया, फिर भी कुछ नहीं हुआ। छह महीने बाद, सभी युवक अपने-अपने हरे-भरे पौधे लेकर राजा के दरबार में पहुंचे, लेकिन अर्जुन के पास खाली गमला था।

वह डरते-डरते दरबार में गया।राजा का फैसलाराजा ने सभी पौधों को देखा और फिर अर्जुन के खाली गमले की ओर देखा। राजा ने मुस्कुराते हुए घोषणा की, “अगला राजा अर्जुन होगा!”सभी हैरान रह गए। राजा ने समझाया, “जो बीज मैंने दिए थे, वे सब उबाले हुए थे, उनमें से कोई भी पौधा नहीं निकल सकता था।

तुम सबने हरे-भरे पौधे लाने के लिए दूसरे बीज लगाए, लेकिन अर्जुन अकेला था जिसने सच्चाई और ईमानदारी दिखाई। एक राजा को सबसे पहले सच्चा और ईमानदार होना चाहिए, इसलिए अर्जुन ही मेरा उत्तराधिकारी बनेगा।”

शिक्षायह कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी और सच्चाई ही सबसे बड़ी योग्यता है। कोई भी परीक्षा या संघर्ष कितना भी कठिन क्यों न हो, हमें सत्य के मार्ग पर ही चलना चाहिए।सत्य की जीत हमेशा होती है!