तेनालीराम और नीलकटू की कहानी
एक बार विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक अनोखा व्यक्ति आया। वह खुद को जादूगर नीलकटू कहता था और दावा करता था कि वह भविष्य देख सकता है।
उसने राजा से कहा, “महाराज, मैं आपकी किस्मत बदल सकता हूं। लेकिन इसके लिए आपको मुझे सोने और चांदी से भरपूर इनाम देना होगा।”राजा को जादूगर की बातों पर भरोसा हो गया। उन्होंने उसे बहुत सारा धन देने का वादा किया।
लेकिन तेनालीराम को नीलकटू पर शक हुआ। उसने सोचा कि यह व्यक्ति केवल धोखा देने आया है।तेनालीराम ने राजा से कहा, “महाराज, हमें नीलकटू की परीक्षा लेनी चाहिए। अगर यह सचमुच जादूगर है, तो यह हर सवाल का सही उत्तर देगा।”राजा ने सहमति दी और तेनालीराम ने नीलकटू से पूछा, “अगर तुम भविष्य देख सकते हो, तो यह बताओ कि मैं अपने हाथ में क्या छिपा रहा हूं?”नीलकटू घबरा गया, क्योंकि उसे कोई जादू नहीं आता था।
उसने इधर-उधर सोचकर कहा, “तुम्हारे हाथ में एक कीमती रत्न है।”लेकिन तेनालीराम ने अपना हाथ खोला, जिसमें सिर्फ एक साधारण पत्थर था। तेनालीराम ने हंसते हुए कहा, “तुमने तो भविष्य देखा ही नहीं। यह साधारण पत्थर है।”नीलकटू को अपनी पोल खुलने का डर था। उसने राजा से माफी मांगी और जल्दी से दरबार छोड़कर भाग गया।
कहानी से शिक्षा:
यह कहानी हमें सिखाती है कि धोखेबाजों की चालाकी को समझदारी और बुद्धिमानी से पकड़ा जा सकता है। कभी भी अंधविश्वास में आकर गलत फैसले नहीं लेने चाहिए।