यहाँ पर तेनालीराम और मटके की एक प्रसिद्ध कहानी प्रस्तुत है:
तेनालीराम और खाली मटकाएक बार विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय ने अपनी प्रजा की बुद्धिमानी की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। उन्होंने एक बड़ा खाली मटका लिया और उसमें थोड़ा सा चावल डाल दिया। इसके बाद उन्होंने ऐलान किया कि हर घर से एक-एक व्यक्ति इस मटके में चावल डालकर इसे भर देगा।लेकिन, एक शर्त थी:
मटके में चावल डालते समय कोई भी व्यक्ति दूसरों को देख नहीं सकता था।सभी लोगों ने सोचा कि अगर वे चावल नहीं डालेंगे तो कोई ध्यान नहीं देगा, क्योंकि मटका इतना बड़ा है। यही सोचकर हर किसी ने खाली मटका में चावल डालने की जगह खाली हाथ डाल दिया।जब राजा ने मटका देखा, तो वह हैरान रह गए क्योंकि मटका खाली था।
राजा ने सोचा कि अब प्रजा की असलियत सामने आ गई है। तभी तेनालीराम ने कहा, “राजा जी, यह मटका खाली है क्योंकि सभी ने सोचा कि उनका धोखा किसी को पता नहीं चलेगा। लेकिन यही सोच पूरी प्रजा में थी।”
राजा को तेनालीराम की बात समझ में आ गई और उन्होंने प्रजा को ईमानदारी और सहयोग का महत्व समझाया।
कहानी से शिक्षा:
यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हर कोई अपनी जिम्मेदारी निभाने से बचेगा, तो समाज में प्रगति और सहयोग असंभव हो जाएगा। हर किसी का योगदान महत्वपूर्ण है।