The Ant And The Grasshopper Story In Hindi | चींटी और टिड्डा की कहानी
एक गांव में चींटी और टिड्डा रहते थे। चींटी बहुत मेहनती थी और हमेशा कुछ न कुछ काम करती रहती थी। वह अपने आप को संवारती और अपना घर सुंदर बनाती थी। वह दूसरों की मदद करने में भी बहुत खुश रहती थी।
वहीं टिड्डा बहुत आलसी था। वह सदैव घर के आस-पास ही बसता रहता था और खाने की फिकर किए बिना दूसरों से मदद मांगता रहता था। चींटी ने कई बार टिड्डा को समझाने की कोशिश की, लेकिन टिड्डा उसके बातों को ध्यान नहीं देता था।
एक दिन, गांव में बड़ी सीखी आई। वह दिन था किसी किस्मती वरदान का, जिसमें गांव के सभी पशु-पक्षी आए। चींटी भी उस बड़े वृक्ष के पास गई और बड़े ध्यान से सीखी के बारे में पूछा। सीखी ने कहा कि जो भी विषय तुम में से किसी एक पशु के पास सबसे अधिक याद रहेगा, उसे मैं सभी को उपहार में दूंगी।
The Ant And The Grasshopper Story In Hindi | चींटी और टिड्डा की कहानी
चींटी ने यह सुनकर बड़ी खुशी महसूस की। उसे यह समझ में आ गया कि यह उसका मौका है टिड्डा को एक सीख देने का। वह टिड्डा के पास गई और उसे सीखी के विषय के बारे में बताने की कोशिश करने लगी।
टिड्डा ने शुरुआत में ध्यान नहीं दिया, लेकिन धीरे-धीरे उसके बातों में रुचि आने लगी। चींटी ने उसे बताया कि मेहनत और नियमितता से काम करना कितना महत्वपूर्ण होता है और इससे हमें अच्छे फल मिलते हैं।
वह टिड्डा अपने आलसी रवैये से छुटकारा पाने का प्रयास करने लगा। उसने चींटी से सीखी को ध्यान से सुना और उसे अपने जीवन में लागू करने का प्रतिश्चय किया।
वक्त बीतता गया और एक दिन वापस से सीखी वृक्ष पर वापस आई। सभी पशु-पक्षी अपनी सीखी लाने के लिए तैयार थे। चींटी ने भी अपनी सीखी लाई और उसे सभी के सामने प्रस्तुत किया।
सभी ने आश्चर्यचकित होकर देखा कि चींटी की सीखी जितनी छोटी और सरल थी, वह बहुत गहरी सोच और समझ दिखाती थी। उसकी सीखी ने सभी को चौंका दिया और वह सभी के दिलों में सम्मानीय स्थान बन गई।
इस दौरान, टिड्डा भी उस वृक्ष के पास पहुंचा, लेकिन उसके पास कोई सीखी नहीं थी। उसके दिल में खुशी के स्थान पर खेद का एहसास था क्योंकि वह अपने आलसी रवैये के कारण किसी सीखी को नहीं प्राप्त कर पाया था।
चींटी ने देखा कि टिड्डा बहुत खेदी है और उसको समझाने का समय है। उसने टिड्डा को अपनी सीखी साझा की और कहा कि वह भी मेहनत करके नियमितता से काम करें, तो सीखी उसे भी आसानी से मिल जाएगी।
टिड्डा ने चींटी की सीखी को ध्यान से सुना और अपने जीवन में उसे लागू करने का वादा किया। वह भी अब मेहनती बन गया और अपने काम को नियमितता से करने लगा।
वक्त बितते गये और टिड्डा भी अपने सीखी के साथ वृक्ष पर पहुंचा। लेकिन वह चींटी की तरह समझदार नहीं दिखता था। उसकी सीखी थोड़ी सी आधीअधूरी और भटकीली लग रही थी।
चींटी ने टिड्डा की सीखी देखी और उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन टिड्डा ध्यान नहीं देने लगा। उसके दिल में यह ख्याल आया कि चींटी के पास उससे ज्यादा अच्छी सीखी है और वह उससे कहीं ऊपर है।
इसी भ्रम में, टिड्डा ने अपनी सीखी को भूल गया और अनजाने में वृक्ष के ऊपर एक खुदरा इलाके में चला गया। वहां पर उसे भयंकर सांपों का सामना करना पड़ा और उसका अंत हो गया।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि मेहनत, नियमितता, और समझदारी सफलता के मार्ग का कुंआ होते हैं। हमें सीखना चाहिए कि दूसरों की समझदारी से हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है और अपने आलसी रवैये को छोड़कर मेहनत करने से हमें सफलता मिलती है।