मेंढक और बैल की कहानी
एक बार की बात है, एक छोटा मेंढक और उसका परिवार एक तालाब के पास रहते थे। एक दिन, छोटा मेंढक घूमते-घूमते खेत की ओर चला गया। वहाँ उसने एक विशाल बैल को देखा, जो घास चर रहा था। वह बैल इतना बड़ा था कि मेंढक ने पहले कभी ऐसा जानवर नहीं देखा था।
डरकर, छोटा मेंढक घर वापस आ गया और अपनी माँ को सारी बात बताई। उसने कहा, “माँ, मैंने एक बहुत बड़ा जानवर देखा। वह इतना बड़ा था जितना मैंने कभी सोचा भी नहीं था।”उसकी माँ, जो अपनी अकड़ में रहती थी, बोली, “बेटा, वह मुझसे बड़ा नहीं हो सकता।
देखो, मैं अभी तुम्हें दिखाती हूँ।”यह कहकर, माँ मेंढक ने अपनी साँस खींची और अपना शरीर फुलाना शुरू किया। फिर उसने पूछा, “क्या वह इतना बड़ा था?”छोटा मेंढक बोला, “नहीं माँ, वह इससे भी बड़ा था।”माँ मेंढक ने और जोर से साँस खींची और अपने शरीर को और फुलाया। “अब देखो, क्या वह इतना बड़ा था?”
छोटा मेंढक ने कहा, “नहीं माँ, वह इससे भी बड़ा था।”माँ मेंढक को गुस्सा आ गया। उसने और ज़ोर से साँस खींची और खुद को बहुत ज्यादा फुलाने की कोशिश की। अचानक, वह फट गई।
कहानी से शिक्षा:
अहंकार करना और खुद को दूसरों से बड़ा दिखाने की कोशिश करना हमेशा नुकसानदेह होता है। हमें अपने वास्तविक रूप में रहना चाहिए।