जातक कथा: चांद पर खरगोश | The Hare On The Moon Story In Hindi

जातक कथा: चांद पर खरगोशकथा का सार:

बुद्ध के पूर्वजन्मों की कहानियों में से एक यह कहानी है। यह त्याग, दया, और परोपकार का महत्व बताती है।कथा:बहुत समय पहले, एक घने जंगल में चार मित्र रहते थे: खरगोश, बंदर, सियार, और ऊदबिलाव। ये सभी मित्र दयालु और धार्मिक थे।

एक दिन उन्होंने सोचा कि पूर्णिमा के दिन वे उपवास करेंगे और जरूरतमंदों को दान देंगे।अगले दिन, ऊदबिलाव नदी के किनारे गया और मछलियां पकड़कर रख लीं। सियार ने जंगल में जाकर खाना जमा किया। बंदर ने पेड़ों से फल तोड़कर रख लिए। खरगोश ने सोचा कि वह तो घास खाता है, जो दूसरों के लिए उपयोगी नहीं है।

उसने सोचा, “अगर कोई भूखा आएगा, तो मैं खुद को दान कर दूंगा।”भगवान इंद्र ने इनकी परीक्षा लेने का निश्चय किया। वह एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में आए और चारों से भोजन मांगा। ऊदबिलाव, सियार, और बंदर ने अपनी-अपनी जमा की हुई चीजें ब्राह्मण को दे दीं। जब ब्राह्मण खरगोश के पास आए, तो उसने कहा, “मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन यदि तुम भूखे हो, तो मैं अपनी जान दान कर सकता हूं।”खरगोश ने अग्नि जलाने के लिए कहा और उसमें कूदने को तैयार हो गया। लेकिन जैसे ही उसने छलांग लगाई, इंद्र ने उसे पकड़ लिया और असली रूप में प्रकट हुए।

उन्होंने खरगोश की त्याग भावना की प्रशंसा की और कहा, “तुम्हारा यह बलिदान चिरकाल तक याद रखा जाएगा।”इंद्र ने खरगोश को चांद पर स्थान दिया, ताकि उसका त्याग पूरी दुनिया देख सके। तब से चांद पर खरगोश की छवि दिखाई देती है।

सीख:यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा परोपकार और त्याग दूसरों के कल्याण के लिए सबसे बड़ा पुण्य है।