रुरु मृग की कहानी
यह कहानी प्राचीन समय की है, जब एक छोटा मृग अपने माता-पिता के साथ एक घने जंगल में रहता था। इस मृग का नाम रुरु था। रुरु बहुत ही चंचल और प्यारा मृग था, जो हमेशा जंगल में खेलता रहता था। उसके माता-पिता उसे हमेशा चेतावनी देते रहते थे कि जंगल में ध्यान से रहो, क्योंकि शिकारियों और अन्य खतरों से बचना जरूरी है।एक दिन रुरु जंगल के एक हिस्से में खेलने गया, जहाँ उसे एक बड़ी नदी दिखी।
वह नदी के किनारे तक पहुँचा और देखा कि उसके पार एक सुंदर बग्गी (झील) है, जहाँ उसे अपने दोस्तों से मिलने का विचार आया। रुरु ने नदी पार करने का मन बना लिया, लेकिन वह यह भूल गया कि नदी बहुत गहरी थी और बहाव तेज था। जैसे ही वह नदी में कूदा, उसे पता चला कि वह मुश्किल में फंस गया है। वह बहाव के साथ बहने लगा और नदी के बीच में फंस गया।उसे डर लगने लगा, लेकिन उसी समय जंगल का एक जानकार पक्षी, जो वहाँ से उड़ रहा था, रुरु के पास आया।
पक्षी ने रुरु को सलाह दी कि उसे शांत रहकर मदद का इंतजार करना चाहिए। रुरु ने पक्षी की बात मानी और शांत रहने का प्रयास किया। थोड़ी देर बाद, एक बड़ा हाथी वहां आया और अपनी सूंड से रुरु को पकड़कर सुरक्षित किनारे पर लाकर छोड़ दिया।रुरु ने अनुभव किया कि जंगल में सुरक्षा और समझदारी से रहना सबसे जरूरी है। वह अपने माता-पिता के पास वापस लौटा और वादा किया कि वह हमेशा उनके निर्देशों का पालन करेगा।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि चंचलता और ध्यान न देने से खतरे बढ़ सकते हैं, लेकिन समझदारी से मुश्किलों का सामना किया जा सकता है।