पुराने आदमी और उसके हिरण की कहानीएक गाँव के पास एक बूढ़ा आदमी अकेला रहता था। वह बहुत दयालु और शांत स्वभाव का था। उसका जीवन जंगल पर निर्भर था।
वह जंगल में जड़ी-बूटियाँ और लकड़ियाँ इकट्ठा करता और गाँव में बेचकर अपना गुजारा करता था।एक दिन, जब वह जंगल में लकड़ियाँ काट रहा था, उसे एक घायल हिरण दिखा। हिरण का एक पैर बुरी तरह से घायल था, और वह दर्द से कराह रहा था।
बूढ़ा आदमी तुरंत उसके पास गया। उसने अपनी कमीज फाड़कर हिरण के घाव पर पट्टी बाँध दी और उसे अपने कंधे पर उठाकर अपने छोटे से घर ले आया।बूढ़े आदमी ने कई दिनों तक हिरण की देखभाल की। वह उसे जड़ी-बूटियों से दवा देता और प्यार से खाना खिलाता।
धीरे-धीरे हिरण का घाव भरने लगा और वह स्वस्थ हो गया। लेकिन हिरण बूढ़े आदमी से इतना जुड़ गया था कि वह जंगल लौटने की बजाय उसके साथ रहने लगा।हिरण और बूढ़ा आदमी अब अच्छे मित्र बन गए थे।
बूढ़ा जंगल में लकड़ियाँ काटने जाता, तो हिरण भी उसके साथ जाता। गाँव वाले इस अनोखी मित्रता को देखकर हैरान होते और बूढ़े आदमी की दयालुता की सराहना करते।
एक दिन, कुछ शिकारी जंगल में आए। उन्होंने हिरण को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन बूढ़े आदमी ने अपनी जान की परवाह किए बिना हिरण को बचा लिया। उसने शिकारियों को समझाया कि जंगल के प्राणियों को जीने का अधिकार है और उन्हें चोट पहुँचाना गलत है।शिकारी बूढ़े आदमी की बात सुनकर प्रभावित हुए और उन्होंने वादा किया कि वे फिर कभी जंगल के जानवरों का शिकार नहीं करेंगे।
बूढ़ा आदमी और उसका हिरण खुशी-खुशी साथ रहने लगे। उनकी दोस्ती इंसान और प्रकृति के बीच संतुलन और करुणा का एक अद्भुत उदाहरण बन गई।