जातक कथा: दो हंसों की कहानी | The Story of Two Swans

दो हंसों की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर झील के किनारे दो हंस रहते थे। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हमेशा एक-दूसरे का साथ देते थे। उनकी दोस्ती का हर कोई उदाहरण देता था।

एक दिन झील में पानी सूखने लगा। चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ हो गया, और हंसों को यह समझ में आ गया कि अब यहां रहना मुश्किल होगा। उन्होंने सोचा कि किसी दूसरी झील की ओर जाना चाहिए। लेकिन समस्या यह थी कि उनके साथ झील में एक कछुआ भी रहता था, जो उनका प्रिय मित्र था।कछुए ने कहा, “मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा।

लेकिन मुझे चलने में बहुत समय लगेगा। तुम लोग उड़कर चले जाओगे, पर मैं क्या करूंगा?”हंसों ने कुछ देर सोचा और फिर एक उपाय निकाला। उन्होंने एक मजबूत लकड़ी ली और कछुए से कहा, “तुम इस लकड़ी को अपने मुंह से पकड़ लो।

हम दोनों हंस इस लकड़ी के दोनों सिरों को पकड़कर उड़ेंगे। लेकिन ध्यान रखना, रास्ते में अपना मुंह मत खोलना, वरना तुम नीचे गिर जाओगे।”कछुए ने सहमति दे दी। योजना के अनुसार, दोनों हंस लकड़ी को पकड़कर उड़ने लगे, और कछुआ बीच में लटका हुआ था।

रास्ते में लोग कछुए को देखकर आश्चर्यचकित हो गए। वे ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे, “देखो, उड़ता हुआ कछुआ!” कछुआ लोगों की बात सुनकर क्रोधित हो गया। वह उन्हें जवाब देना चाहता था, लेकिन जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, वह जमीन पर गिर गया और मर गया।

शिक्षा:यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कठिन परिस्थितियों में धैर्य और अनुशासन बनाए रखना चाहिए। कभी-कभी हमारी भावनाओं पर नियंत्रण न रखने से बड़ा नुकसान हो सकता है।