शहरी चूहा और ग्रामीण चूहा
एक समय की बात है, एक शहरी चूहा और एक ग्रामीण चूहा बहुत अच्छे मित्र थे। एक दिन ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे को अपने गाँव में आमंत्रित किया।शहरी चूहा खुशी-खुशी गाँव पहुँचा। ग्रामीण चूहे ने उसका स्वागत किया और अपने पास रखे खाने का स्वादिष्ट अनाज, जौ, और मूँगफली पेश की।लेकिन शहरी चूहे को यह साधारण भोजन पसंद नहीं आया।
उसने कहा,”भाई, तुम यहाँ इतनी कठिनाई में रहते हो। चलो मेरे साथ शहर, जहाँ हर दिन दावत जैसा खाना मिलता है।”ग्रामीण चूहे को यह सुनकर उत्सुकता हुई और वह शहरी चूहे के साथ शहर चला गया।शहर में शहरी चूहे ने अपने मित्र को शानदार दावत दी। मेज पर रोटियाँ, केक, पनीर, और कई तरह के व्यंजन रखे थे। ग्रामीण चूहा यह देखकर बहुत खुश हुआ।
जैसे ही दोनों खाने के लिए बैठे, अचानक एक बिल्ली आ गई। दोनों चूहों ने अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ लगाई। किसी तरह वे एक कोने में छिप गए।डर के मारे ग्रामीण चूहे का बुरा हाल हो गया। उसने शहरी चूहे से कहा,”भाई, तुम्हारा शानदार खाना और सुख-सुविधाएँ मेरे काम की नहीं। मैं अपने गाँव के साधारण और सुरक्षित जीवन में ही खुश हूँ।”
यह कहकर वह वापस अपने गाँव लौट गया।कहानी से सीख:साधारण लेकिन सुरक्षित जीवन, डर और असुरक्षा के भव्य जीवन से कहीं बेहतर है।