दो मछलियों और एक मेंढक की कहानी | Two Fishes And A Frog Story In Hindi

दो मछलियाँ और एक मेंढक

बहुत समय पहले की बात है, एक तालाब में दो चतुर मछलियाँ, “सुमति” और “विवेक” नाम से रहती थीं। उनके साथ ही एक मेंढक “प्रभु” भी वहीं रहता था। तीनों में गहरी मित्रता थी।एक दिन, तालाब के पास कुछ मछुआरों का दल आया।

उन्होंने देखा कि तालाब में बहुत सारी मछलियाँ हैं और उन्होंने तय किया कि अगले दिन वे यहाँ आकर जाल डालेंगे।यह सुनकर तीनों मित्र बहुत चिंतित हो गए। सुमति बोली, “हमें तुरंत यह तालाब छोड़ देना चाहिए। यह जगह अब सुरक्षित नहीं है।” विवेक ने कहा, “मैं कहीं नहीं जाऊँगा। मैं अपनी चतुराई से बच निकलूंगा।” मेंढक प्रभु ने कहा, “मैं भी यहाँ से चला जाऊँगा।”

सुमति और प्रभु उसी रात तालाब छोड़कर पास के एक और तालाब में चले गए, लेकिन विवेक वहीं रुका रहा। अगले दिन मछुआरे आए और अपने जाल फैलाए। विवेक ने बहुत कोशिश की बचने की, लेकिन वह पकड़ा गया और अन्य मछलियों के साथ मछुआरों ने उसे ले लिया।

सीख:समय पर सही निर्णय लेना बहुत आवश्यक होता है। सिर्फ बुद्धिमान होना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि सही समय पर सही कदम उठाना भी जरूरी है।