दो सांपों की कहानी
दो सांपों की कहानी एक जंगल में दो सांप रहते थे। एक का नाम था बड़ा सांप और दूसरे का नाम था छोटा सांप। बड़ा सांप बहुत घमंडी और लालची था, जबकि छोटा सांप बहुत विनम्र और दयालु था।
एक दिन, बड़ा सांप जंगल में घूम रहा था कि उसे एक खजाना मिला। उसने सोचा, “यह सब सोना मेरा ही होगा। मैं इसे किसी के साथ साझा नहीं करूंगा।”उसी समय, छोटा सांप भी उधर से गुजर रहा था।
उसने बड़े सांप को खजाना छुपाते हुए देखा। उसने बड़े सांप से कहा, “भाई, यह खजाना हमें दोनों को बांटकर रखना चाहिए।”लेकिन बड़े सांप ने कहा, “यह खजाना सिर्फ मेरा है। मैं इसे तुम्हारे साथ नहीं बांटूंगा।”छोटा सांप बहुत दुखी हुआ।
उसने बड़े सांप से कहा, “भाई, यह गलत है। हमें यह खजाना बांटकर रखना चाहिए।”लेकिन बड़े सांप ने छोटे सांप की बात नहीं सुनी। उसने छोटे सांप को धमकाया और कहा, “अगर तुमने मेरे खजाने पर दावा किया तो मैं तुम्हें मार डालूंगा।”छोटा सांप डर गया और वापस चला गया। उसने सोचा, “मैं बड़े सांप से लड़ नहीं सकता।
मुझे कोई ऐसा तरीका ढूंढना होगा जिससे मैं खजाने का हिस्सा पा सकूं।”छोटा सांप एक बुद्धिमान बूढ़े कछुए के पास गया। उसने बूढ़े कछुए को पूरी कहानी सुनाई।बूढ़े कछुए ने कहा, “चिंता मत करो।
मैं तुम्हारी मदद करूंगा।”बूढ़े कछुए ने बड़े सांप के पास जाकर कहा, “भाई, मैं तुम्हारे खजाने को सुरक्षित रखने में तुम्हारी मदद करना चाहता हूं।”बड़ा सांप बहुत खुश हुआ। उसने कहा, “हां, बूढ़े कछुए, तुम मेरी मदद कर सकते हो।”बूढ़े कछुए ने कहा, “लेकिन पहले तुम्हें मुझे एक वादा करना होगा।”
बड़े सांप ने कहा, “क्या वादा?”बूढ़े कछुए ने कहा, “तुम्हें अपना खजाना छोटे सांप के साथ बांटना होगा।”बड़ा सांप पहले तो हिचकिचाया, लेकिन फिर उसने बूढ़े कछुए के वादे को स्वीकार कर लिया।बूढ़े कछुए ने बड़े सांप को खजाना दो हिस्सों में बांटने के लिए कहा।
बड़े सांप ने खजाना दो हिस्सों में बांटा।एक हिस्सा बड़े सांप ने अपने पास रख लिया और दूसरा हिस्सा उसने छोटे सांप को दे दिया।छोटा सांप बहुत खुश हुआ। उसने बूढ़े कछुए को धन्यवाद दिया।
बड़े सांप ने भी अपनी गलती महसूस की। उसने छोटे सांप से माफी मांगी।दोनों सांप दोस्त बन गए और उन्होंने खुशी-खुशी जीवन व्यतीत किया।
नैतिक शिक्षा:
लालच बुरी चीज है।हमें दूसरों के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए।हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए।