उल्लू और भूतों के सरदार का सपना
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक चालाक उल्लू रहता था। उसका नाम था चतुरचंद। वह अपने तेज दिमाग और हाजिरजवाबी के लिए पूरे जंगल में मशहूर था। हालांकि, वह अकेला रहता था और हमेशा अजीब-अजीब सपने देखा करता।एक रात, चतुरचंद ने एक ऐसा सपना देखा जिसने उसकी नींद उड़ा दी। उसने देखा कि वह भूतों के सरदार बन गया है और उसके चारों ओर सैकड़ों भूत उसे सलामी दे रहे हैं। वे सब उसकी आज्ञा का पालन कर रहे थे। यह सपना इतना असली लगा कि चतुरचंद हैरान रह गया।
सपने की सच्चाई
अगली सुबह, चतुरचंद ने सोचा, “कहीं यह सपना मेरी किस्मत तो नहीं?” वह जंगल के बड़े-बुजुर्ग पक्षी गिद्धराज के पास गया। गिद्धराज ने उसकी बात सुनकर कहा, “यह सपना तुम्हारी छिपी हुई ताकतों का संकेत हो सकता है। अगर तुम हिम्मत दिखाओ, तो तुम्हें इसका रहस्य पता चल सकता है।”चतुरचंद ने गिद्धराज की बात मान ली और उस जगह की खोज करने निकल पड़ा, जो उसने अपने सपने में देखी थी। कुछ ही दिनों की तलाश के बाद, वह एक पुराने खंडहर में पहुंचा। वहां उसने देखा कि सचमुच भूतों का झुंड उसकी प्रतीक्षा कर रहा था।
भूतों का रहस्य
भूतों ने चतुरचंद से कहा, “हम सदियों से एक ऐसे सरदार की तलाश में हैं, जो हमें सही दिशा दिखा सके। तुम्हारे तेज दिमाग और सूझबूझ के कारण हम तुम्हें अपना सरदार मानते हैं।”चतुरचंद पहले थोड़ा डरा, लेकिन फिर उसने सोचा, “अगर मैं भूतों का सरदार बनूं, तो यह मेरे लिए बड़ा मौका होगा।” उसने हां कर दी और भूतों की मदद से जंगल में शांति और व्यवस्था कायम की।
नया अध्याय
अब चतुरचंद केवल एक चालाक उल्लू नहीं था, बल्कि वह भूतों का सरदार और जंगल का रक्षक भी बन गया। उसकी बुद्धिमानी से जंगल के जानवर और भूत, दोनों खुश रहने लगे।इस तरह, एक सपना चतुरचंद की जिंदगी का सबसे बड़ा सच बन गया और उसने अपनी नई भूमिका को खुशी-खुशी निभाया।
शिक्षा:इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि सपने कभी-कभी हमारी छिपी हुई संभावनाओं को उजागर करते हैं। अगर हम उन पर विश्वास करें और मेहनत करें, तो असंभव को भी संभव बना सकते हैं।