विक्रम और बेताल की कहानी: बेताल क्यों हंसा?
विक्रम और बेताल की कहानियां भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिन्हें “बेताल पच्चीसी” के नाम से जाना जाता है। ये कहानियां राजा विक्रमादित्य और बेताल (एक रहस्यमयी पिशाच) के बीच संवाद पर आधारित होती हैं। इनमें एक कहानी है, जिसमें बेताल हंसने लगता है।
कहानी का सारांश:
राजा विक्रमादित्य ने योगी के आदेश पर बेताल को पकड़ने का निश्चय किया। उन्होंने श्मशान घाट से बेताल को अपने कंधे पर उठाया और उसे अपने राज्य ले जाने लगे। बेताल ने विक्रम की एकाग्रता और धैर्य को तोड़ने के लिए हर बार एक नई कहानी सुनाई। हर कहानी के अंत में बेताल राजा से एक प्रश्न पूछता और शर्त रखता कि यदि राजा ने सही उत्तर दिया तो वह फिर से पेड़ पर लौट जाएगा, और यदि राजा ने उत्तर नहीं दिया, तो बेताल उसकी सहायता करेगा।एक बार बेताल ने एक कहानी सुनाई:कहानीएक ब्राह्मण के तीन पुत्र थे। तीनों अपनी विद्या के लिए प्रसिद्ध थे। तीनों ने अलग-अलग कौशल सीखा। एक ने अस्थियों से शरीर बनाने का विज्ञान सीखा, दूसरे ने उस शरीर में मांस और खाल चढ़ाने का ज्ञान पाया, और तीसरे ने उसमें प्राण डालने की विद्या सीखी।तीनों ने अपनी विद्या का परीक्षण करने के लिए जंगल में एक मरे हुए शेर की अस्थियां इकट्ठा कीं। पहले भाई ने अस्थियों से शेर का कंकाल तैयार किया। दूसरे ने उसमें मांस, खाल और चमड़ी चढ़ाई। तीसरे ने उसमें प्राण डाल दिए। शेर जीवित होते ही उन पर हमला कर दिया और उन्हें मार डाला।सवालबेताल ने पूछा, “बताओ, इनमें से सबसे बड़ा मूर्ख कौन था?”राजा विक्रम ने उत्तर दिया, “सबसे बड़ा मूर्ख वह था जिसने शेर में प्राण डाले, क्योंकि उसने यह सोचे बिना अपनी विद्या का प्रयोग किया कि इससे सबके प्राण खतरे में पड़ सकते हैं।”जैसे ही राजा ने सही उत्तर दिया, बेताल जोर से हंस पड़ा और पेड़ पर लौट गया।
बेताल के हंसने का कारण:
बेताल इसलिए हंसा क्योंकि राजा विक्रम ने एक बार फिर सही उत्तर दिया। उसे राजा की न्यायप्रियता और ज्ञान पर गर्व भी हुआ और यह भी मज़ा आया कि राजा को फिर से प्रयास करना पड़ेगा।इस तरह हर बार बेताल राजा की परीक्षा लेता और उसकी बुद्धिमत्ता को चुनौती देता।