विक्रम और बेताल:
दगडू का सपनाएक बार की बात है, राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा की समस्याओं को सुलझाने में व्यस्त थे। तभी उनके दरबार में एक व्यक्ति आया जिसका नाम था दगडू। वह बेहद परेशान और चिंतित लग रहा था। राजा ने उसे पास बुलाया और उसकी समस्या पूछी।दगडू ने कहा, “महाराज, मैं हर रात एक अजीब सपना देखता हूँ। सपने में एक आवाज मुझे बुलाती है और कहती है कि एक जगह पर छिपा हुआ खजाना है।
लेकिन मैं नहीं जानता कि यह सपना सच है या मेरी कल्पना।”राजा ने उसे समझाया कि सपनों पर तुरंत भरोसा नहीं करना चाहिए। लेकिन दगडू की बातों ने राजा को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। राजा ने दगडू से सपने की जगह और घटनाओं के बारे में विस्तार से पूछताछ की।दगडू ने बताया कि वह जगह एक पुराने खंडहर के पास है और वहां एक पीपल का पेड़ है।
बेताल, जो पेड़ों पर रहता था, ने राजा को इस मामले में पड़ने से मना किया, लेकिन विक्रम ने निश्चय कर लिया कि वे दगडू की मदद करेंगे।राजा विक्रमादित्य और दगडू खंडहर के पास गए।
बेताल ने राजा से कहा, “यह सपना दगडू का भ्रम भी हो सकता है, लेकिन अगर आप सच का पता लगाना चाहते हैं, तो पहले मेरी एक कहानी सुनें।”
बेताल की कहानी
बेताल ने एक कहानी सुनाई जिसमें एक राजा ने सपने में खजाने का पता लगाया था। लेकिन जब वह उस खजाने तक पहुंचा, तो वह सपना एक चाल निकली, जिससे राजा की जान खतरे में पड़ गई। कहानी के अंत में बेताल ने राजा से सवाल किया, “क्या दगडू का सपना सच हो सकता है, या यह किसी बड़ी मुसीबत का संकेत है?”राजा ने उत्तर दिया, “दगडू का सपना सच हो सकता है, लेकिन सपने के पीछे के इरादे को समझना जरूरी है। हमें सतर्क रहकर खजाने की खोज करनी चाहिए।”
बेताल राजा के उत्तर से प्रसन्न हुआ और खजाने की ओर इशारा किया। राजा और दगडू ने मिलकर खजाना निकाला और उसे प्रजा के कल्याण के लिए उपयोग किया।इस प्रकार, राजा विक्रमादित्य ने न केवल दगडू की समस्या सुलझाई, बल्कि यह सिखाया कि समझदारी और सतर्कता से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।