विक्रम बेताल की कहानी: दीवान की मृत्यु – बेताल पच्चीसी बारहवीं कहानी/ Vikram Betal Story Diwaan Ki Martyu In Hindi

विक्रम बेताल की कहानी:

दीवान की मृत्युप्राचीन समय में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य अपनी बुद्धिमानी और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे।

एक दिन उन्हें एक साधु ने 25 कहानियों वाला एक रहस्यमय पेड़ लाने का आदेश दिया। राजा विक्रम उस पेड़ पर गए, जहां उन्होंने बेताल (एक भूत) को पेड़ पर उल्टा लटका पाया।

बेताल ने राजा विक्रम से कहा, “राजन, मैं तुम्हारे साथ चलूंगा, लेकिन एक शर्त है। रास्ते में यदि तुमने बात की, तो मैं वापस पेड़ पर लौट जाऊंगा।” विक्रम मान गए और बेताल को कंधे पर उठाकर चल दिए।

रास्ते में बेताल ने राजा का समय बिताने के लिए एक कहानी सुनानी शुरू की।

कहानी:

दीवान की मृत्युएक नगर में एक राजा का शासन था। राजा का दीवान बहुत बुद्धिमान और कर्तव्यनिष्ठ था। वह राजा के हर काम में मदद करता और प्रजा का भला करता। लेकिन एक दिन, दीवान अचानक बीमार पड़ गया और उसकी मृत्यु हो गई।

दीवान की मृत्यु के बाद, राजा को एक नए दीवान की जरूरत थी। कई लोग इस पद के लिए आए, लेकिन राजा को कोई योग्य व्यक्ति नहीं मिला। आखिरकार, राजा ने घोषणा की कि जो व्यक्ति तीन कठिन सवालों के जवाब देगा, वही नया दीवान बनेगा।

सवाल और जवाब

पहला सवाल:

राजा के लिए सबसे बड़ा धन क्या है?एक उम्मीदवार ने कहा, “सोना और चांदी,” लेकिन यह जवाब गलत था। अंत में, एक विद्वान ने कहा, “राजा का सबसे बड़ा धन उसकी प्रजा का विश्वास है।” यह जवाब सही था।

दूसरा सवाल:

राजा को सबसे ज्यादा किससे डरना चाहिए?कुछ लोगों ने कहा, “दुश्मन सेना,” लेकिन सही जवाब था, “अधर्मी और धोखेबाज सलाहकार।”

तीसरा सवाल:

राजा को न्याय करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?कई जवाब आए, लेकिन सही जवाब था, “न्याय करते समय राजा को निष्पक्ष और सच्चाई के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।”नतीजावह विद्वान नया दीवान बना और उसने प्रजा का भला किया।बेताल का सवालइतना कहकर बेताल ने पूछा, “राजन, यदि दीवान इतना बुद्धिमान और कर्तव्यनिष्ठ था, तो उसकी मृत्यु क्यों हुई? क्या यह राजा की गलती थी?”राजा विक्रम ने जवाब दिया, “नहीं, यह राजा की गलती नहीं थी।

हर व्यक्ति की मृत्यु तय होती है। दीवान ने अपने जीवन का उद्देश्य पूरा किया, और उसकी मृत्यु उसकी नियति थी।”यह सुनकर बेताल संतुष्ट हुआ, लेकिन राजा के बोलने पर वह फिर पेड़ पर लौट गया।

और इस तरह राजा विक्रम ने बेताल को बार-बार पकड़ने का प्रयास जारी रखा।