विक्रम और बेताल की कहानी: पापी कौन है?
राजा विक्रमादित्य ने बेताल को पकड़ने के लिए उसकी लाश को कंधे पर उठाया और तांत्रिक के पास ले जाने लगे। बेताल ने समय काटने और राजा को परेशान करने के लिए एक नई कहानी सुनानी शुरू की।
कहानी:
एक बार की बात है, एक राजा के राज्य में तीन मित्र रहते थे। तीनों एक स्त्री से प्रेम करते थे, जो बहुत सुंदर और गुणवान थी। एक दिन दुर्भाग्यवश उस स्त्री की मृत्यु हो गई। तीनों मित्र उससे अत्यधिक प्रेम करते थे, इसलिए वे उसके शव के पास बैठकर शोक करने लगे।पहला मित्र तांत्रिक था।
उसने कहा, “मैं मंत्रों के माध्यम से इसे फिर से जीवित कर सकता हूं।”दूसरा मित्र डॉक्टर था। उसने कहा, “मैं इसकी हड्डियों को जोड़ सकता हूं और इसे स्वस्थ बना सकता हूं।”तीसरा मित्र साधारण व्यक्ति था, जिसने कहा, “मैं इसे अपने जीवन में हमेशा के लिए रखूंगा।”पहले मित्र ने अपने मंत्रों से उसे जीवित कर दिया।
दूसरे मित्र ने उसे स्वस्थ बना दिया। लेकिन जब वह जीवित हो गई, तो उसने तीसरे मित्र के साथ रहने का निर्णय लिया क्योंकि उसने उससे सच्चा प्रेम किया।
सवाल:
बेताल ने राजा विक्रम से पूछा, “अब तुम ही बताओ, इनमें से सबसे बड़ा पापी कौन है?”राजा का उत्तर:राजा विक्रम ने कहा, “पहला मित्र तांत्रिक है क्योंकि उसने अपनी शक्ति का उपयोग केवल स्त्री को जीवित करने के लिए किया, लेकिन वह उसे पाने की इच्छा से प्रेरित था।
दूसरा मित्र डॉक्टर है, जिसने अपनी विद्या का उपयोग अपने लाभ के लिए किया। परंतु तीसरा मित्र पापी नहीं है, क्योंकि उसने केवल सच्चे प्रेम से उस स्त्री को अपनाया।”
राजा का उत्तर सुनकर बेताल ने कहा, “तुमने सही उत्तर दिया, लेकिन मैंने शर्त के अनुसार, तुम्हारे मौन को तोड़ दिया। अब मैं फिर से चला जाता हूं।”यह कहकर बेताल राजा के कंधे से उड़कर पेड़ पर जा बैठा।
राजा विक्रम ने फिर से बेताल को पकड़ने का निश्चय किया।सीख:यह कहानी सच्चे प्रेम, निष्ठा और स्वार्थ से बचने की शिक्षा देती है।