विक्रम और बेताल की कहानियाँ भारतीय साहित्य में बहुत प्रसिद्ध हैं। इनमें राजा विक्रमादित्य और बेताल के बीच बुद्धिमत्ता और नैतिकता से भरे संवाद होते हैं। आप जिस कहानी “राजा चंद्रसेन और नाब युवक सतबशील” की बात कर रहे हैं, वह बेताल पच्चीसी की एक प्रमुख कहानी हो सकती है।
कहानी का सारांश:
प्राचीन समय में उज्जैन के राजा चंद्रसेन एक पराक्रमी और न्यायप्रिय शासक थे। उनकी प्रजा सुखी थी, लेकिन राजा के पास कोई उत्तराधिकारी नहीं था। राजा ने प्रार्थना और यज्ञ किए। एक दिन एक तपस्वी ने राजा को आशीर्वाद दिया कि उनकी प्रजा में से कोई योग्य युवक उनका उत्तराधिकारी बनेगा।इसी दौरान, प्रजा में एक युवा सतबशील का नाम सामने आया। वह ईमानदार, साहसी और बुद्धिमान था। लेकिन, सतबशील के स्वाभाविक गुणों की परीक्षा के लिए बेताल ने राजा को कई सवाल पूछे। बेताल ने राजा को सतबशील के चरित्र और उसकी योग्यता पर सवाल करने के लिए मजबूर किया।राजा ने सतबशील की हर परीक्षा में उसकी योग्यता को प्रमाणित पाया।
अंत में बेताल ने राजा को सिखाया कि एक शासक का चुनाव उसके नैतिकता, साहस और प्रजा के प्रति उसके समर्पण के आधार पर करना चाहिए। राजा चंद्रसेन ने सतबशील को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा नेतृत्व गुण और नैतिकता पर आधारित होना चाहिए, न कि केवल जन्म या अधिकार पर।अगर आप कहानी का विस्तृत विवरण चाहते हैं, तो बताएं, मैं और जानकारी प्रदान करूंगा।