विक्रम बेताल की दसवीं कहानी: सबसे अधिक त्यागी कौन? Vikram Betal Story Sabsa Adhik Tayagi Koun In Hindi

विक्रम और बेताल की कहानी: सबसे अधिक त्यागी कौन?

एक बार राजा विक्रमादित्य बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर लेकर चल रहे थे। रास्ते में बेताल ने राजा का मन बहलाने के लिए एक कहानी सुनानी शुरू की।

कहानी:

बहुत समय पहले, एक नगर में राजा धर्मशील राज्य करते थे। उस नगर में तीन मित्र रहते थे – एक ब्राह्मण, एक व्यापारी और एक क्षत्रिय। तीनों ने मिलकर निर्णय लिया कि वे अपने जीवन में सबसे बड़ा त्याग करेंगे।

ब्राह्मण का त्याग:

ब्राह्मण ने अपने सबसे प्रिय ग्रंथों का त्याग कर दिया। उसने कहा, “ज्ञान ही मेरा सबसे बड़ा धन है, और इन ग्रंथों को त्यागना मेरे लिए सबसे कठिन था।”

व्यापारी का त्याग:

व्यापारी ने अपनी पूरी संपत्ति को त्याग दिया और गरीबों में बाँट दिया। उसने कहा, “धन ही मेरा जीवन था, और इसे त्यागना मेरा सबसे बड़ा बलिदान है।”

क्षत्रिय का त्याग:

क्षत्रिय के पास उसकी पत्नी थी, जिसे वह अत्यधिक प्रेम करता था। लेकिन धर्म के लिए उसने अपनी पत्नी का त्याग कर दिया और उसे दूसरों के हित में छोड़ दिया। उसने कहा, “प्यार और परिवार के बंधन को तोड़ना मेरे लिए सबसे कठिन था।”

बेताल का प्रश्न:

बेताल ने राजा विक्रम से पूछा, “इन तीनों में से कौन सबसे बड़ा त्यागी है?”

राजा विक्रम का उत्तर:

राजा विक्रमादित्य ने उत्तर दिया, “तीनों ने बड़ा त्याग किया, लेकिन क्षत्रिय का त्याग सबसे बड़ा है। उसने अपने सबसे प्रिय व्यक्ति, अपनी पत्नी का त्याग किया। प्रेम का त्याग करना सबसे कठिन होता है।”यह सुनकर बेताल ने कहा, “तुमने सही उत्तर दिया, लेकिन मैं फिर से उड़ जाता हूँ।” और बेताल पेड़ पर लौट गया।

इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि त्याग का मूल्य व्यक्ति की परिस्थिति और भावना पर निर्भर करता है।