विक्रम और बेताल की कहानी:
सर्वश्रेष्ठ वर कौन?
प्राचीन समय की बात है। राजा विक्रमादित्य और बेताल की कहानियों में एक ऐसी कथा है जिसमें राजा को न्याय करने की कठिन परीक्षा दी जाती है।एक दिन, बेताल ने विक्रम से कहानी सुनाने का आग्रह किया और अंत में प्रश्न पूछा। उसने कहानी इस प्रकार सुनाई:एक नगर में तीन मित्र रहते थे। तीनों ने एक ही युवती से विवाह करने की इच्छा जताई। वे तीनों उस युवती से प्रेम करते थे। परंतु दुर्भाग्यवश, युवती की अचानक मृत्यु हो गई। तीनों मित्र बहुत दुखी हुए।पहला मित्र योगी था।
उसने अपने तप के बल पर एक मंत्र पाया, जिससे मृत व्यक्ति को पुनर्जीवित किया जा सकता था।दूसरा मित्र शास्त्रज्ञ था। उसने अपने ज्ञान के बल पर युवती के शरीर को सहेजकर रखा, ताकि वह किसी भी क्षति से बच सके।तीसरा मित्र साधारण गृहस्थ था, जो उस युवती का पालन-पोषण करता था और उसकी सेवा करता रहा।कुछ समय बाद, योगी ने मंत्र का उपयोग कर युवती को जीवित कर दिया।
अब तीनों मित्र युवती को अपनी पत्नी बनाने का दावा करने लगे।यह कहानी सुनाने के बाद, बेताल ने राजा विक्रमादित्य से पूछा:”बताइए, उस युवती के लिए सबसे योग्य वर कौन है?”राजा विक्रमादित्य ने सोचा और उत्तर दिया:”तीसरा मित्र, जो गृहस्थ था, वह युवती के लिए सबसे योग्य वर है।
क्योंकि उसने उसकी सेवा की, उसके जीवन की कठिनाइयों में उसका साथ दिया। बाकी दोनों मित्रों ने अपने ज्ञान और तप का उपयोग किया, लेकिन असली प्रेम और समर्पण गृहस्थ ने दिखाया।”विक्रम का उत्तर सुनकर बेताल प्रसन्न हुआ, लेकिन उसने अपनी शर्त के अनुसार राजा को छोड़कर फिर से पेड़ पर जा बैठा।
कहानी का संदेश:
समर्पण और सेवा का महत्व सबसे अधिक होता है। ज्ञान और शक्ति का उपयोग महान है, लेकिन सच्चा संबंध वही है जिसमें प्रेम और त्याग हो।