विक्रम बेताल की पन्द्रहवीं कहानी: शशिप्रभा किसकी पत्नी? / Vikram Betal Story Sashiparvha Kiski Patni in Hindi

विक्रम और बेताल की कहानियों में से “शशिपर्वा किसकी पत्नी है?”

एक दिलचस्प कहानी है। इसका सारांश इस प्रकार है:

कहानी:

एक समय की बात है, उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर लाद लिया। रास्ते में बेताल ने राजा से कहा, “मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। यदि तुमने इसका सही उत्तर दिया तो मैं लौटकर पेड़ पर चला जाऊंगा, और यदि उत्तर गलत दिया या मौन रहे तो मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।”

बेताल ने कहानी शुरू की:शशिपर्वा का विवाह:

एक नगर में एक ब्राह्मण परिवार में सुंदर कन्या शशिपर्वा थी। वह अत्यंत गुणवान और सुशील थी। विवाह योग्य होने पर उसके पिता ने योग्य वर की खोज शुरू की। एक दिन तीन ब्राह्मण युवक उसकी सुंदरता से प्रभावित होकर उससे विवाह का प्रस्ताव लेकर आए।

तीनों युवकों की परीक्षा:

लेकिन तीनों युवक समान रूप से योग्य और ब्राह्मण परिवार से थे। इसलिए शशिपर्वा के पिता ने असमंजस में निर्णय नहीं लिया। इसी बीच, दुर्भाग्यवश, शशिपर्वा की मृत्यु हो गई। तीनों युवक अत्यंत दुखी हुए। उनमें से एक ने शशिपर्वा के शव को श्मशान में जलने से रोका और उसकी रक्षा की। दूसरे ने उसका अस्थि कलश लेकर उसकी पूजा की। तीसरे ने तपस्या करके मंत्र सीखा जिससे मृतकों को जीवित किया जा सकता था।

शशिपर्वा का पुनर्जीवन:

जब शशिपर्वा को पुनर्जीवित किया गया, तो प्रश्न उठा कि वह किसकी पत्नी होनी चाहिए—उसकी जिसने उसकी रक्षा की, जिसने उसका पूजन किया, या जिसने उसे जीवनदान दिया।

बेताल का प्रश्न:

“अब तुम बताओ, हे राजा विक्रम, शशिपर्वा किसकी पत्नी बननी चाहिए?”

राजा विक्रम का उत्तर:

राजा विक्रम ने उत्तर दिया, “शशिपर्वा उस व्यक्ति की पत्नी होनी चाहिए जिसने उसे पुनर्जीवित किया, क्योंकि वही उसका वास्तविक उद्धारकर्ता है। अन्य दो व्यक्तियों ने अपने-अपने तरीके से कर्तव्य निभाए, लेकिन जीवनदान देने वाला उसका असली स्वामी है।”यह सुनते ही बेताल हंसा और बोला, “तुमने सही उत्तर दिया, राजा। लेकिन मैं अब तुम्हें छोड़कर वापस पेड़ पर चला जाऊंगा।” ऐसा कहकर वह फिर से उड़ गया।

कहानी का संदेश:

इस कहानी से यह सिख मिलती है कि सच्चा कर्तव्य और सेवा व्यक्ति को सबसे बड़ा अधिकार दिलाते हैं।