मूर्ख साधू और ठग | The Foolish Sage And Swindler In Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक मूर्ख साधू रहता था। वह साधू धार्मिक कार्यों में अत्यंत निपुण था, परंतु संसारिक मामलों में बहुत भोला था। गाँव के लोग उसे बहुत आदर देते थे, लेकिन कुछ लोग उसकी मूर्खता का लाभ उठाने का मौका तलाशते रहते थे।एक दिन गाँव में एक चालाक ठग आया।

उसने सुना कि साधू बहुत भोला है और उसने उसे ठगने की योजना बनाई। ठग साधू के पास गया और बोला, “महात्मा जी, मैं एक साधारण यात्री हूँ और मुझे आपसे एक महत्वपूर्ण बात करनी है। मुझे आपसे कुछ विशेष ज्ञान प्राप्त करना है।

“साधू ने उसे स्वागत किया और बोला, “बिलकुल, बेटा। तुम्हें जो भी जानना हो, मुझसे पूछो।”ठग ने कहा, “महात्मा जी, मैं बहुत दिनों से एक बहुमूल्य रत्न की तलाश में हूँ। मैंने सुना है कि आप इस रत्न की जानकारी रखते हैं।

कृपया मुझे बताएं कि यह रत्न कहाँ मिल सकता है।”मूर्ख साधू ने थोड़ा सोचा और फिर बोला, “यह रत्न बहुत दूर पहाड़ों में स्थित एक गुफा में है।

लेकिन वहाँ तक पहुँचने के लिए तुम्हें बहुत कष्ट सहना पड़ेगा।”ठग ने साधू से कहा, “महात्मा जी, मैं हर कष्ट सहने के लिए तैयार हूँ। कृपया मुझे उस गुफा का रास्ता बताएं।”साधू ने ठग को गुफा का रास्ता बताया और कहा,

“जब तुम वहाँ पहुँचोगे, तो गुफा के द्वार पर एक सर्प पहरा देगा। लेकिन चिंता मत करना, बस भगवान का नाम लेते रहना और सर्प तुम्हें कोई हानि नहीं पहुंचाएगा।”ठग ने साधू का धन्यवाद किया

और उस गुफा की ओर चल पड़ा। जब वह गुफा के पास पहुँचा, तो उसने देखा कि वहाँ कोई सर्प नहीं है, बल्कि वहाँ एक बड़ा पत्थर रखा हुआ है। उसने पत्थर को हटाया और गुफा के अंदर प्रवेश किया।

लेकिन अंदर जाने पर उसे कोई रत्न नहीं मिला।ठग को समझ में आ गया कि साधू ने उसकी मूर्खता पर हँसी उड़ाई है। वह गुस्से में गाँव वापस आया और साधू के पास जाकर बोला, “महात्मा जी, आपने मुझे गलत रास्ता दिखाया। वहाँ कोई रत्न नहीं था।”साधू ने हंसते हुए कहा, “बेटा, मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि यह राह बहुत कठिन है और वहाँ पहुँचने के लिए तुम्हें विश्वास की जरूरत होगी।

अगर तुम्हारे दिल में सच्ची श्रद्धा होती, तो तुम उस रत्न को पा सकते थे।”ठग को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उसने साधू से माफी मांगी। साधू ने उसे माफ कर दिया और कहा, “हमेशा याद रखना, संसार में हर चीज़ का महत्व सच्चे विश्वास और ईमानदारी में होता है।”

इस घटना के बाद, ठग ने अपना जीवन सुधार लिया और साधू का शिष्य बन गया। दोनों ने मिलकर गाँव के लोगों को सच्चाई और ईमानदारी का महत्व सिखाया।