चंपा
चंपा के फूल खिलते बगिया में,
सुगंध से महकते हैं हवा में।
पीले रंग की कोमल सी पंखुड़ी,
हर दिल को छू जाए, ये नन्ही चंपा बड़ी।
सूरज की किरणों से निखरती है,
चाँदनी रात में भी चमकती है।
पत्तों के बीच हंसती हुई बसी,
चंपा हर दिल में खुशबू सी रसी।
सर्दी हो या गर्मी की धूप,
चंपा खिलती रहती है ज्यों एक रूप।
उसकी रंगत और उसकी महक,
सबको भाती है, हर दिल की धड़क।
गाँव की गलियों में बसी कहानी,
चंपा के फूलों की है रवानी।
हर बूटी से महकती वादी,
चंपा की सुंदरता में बसी है परछाई।
चंपा, तुम हो सुंदरता की छाया,
हर दिल में प्रेम का एक हलका सा माया।
तेरी खुशबू से सजी है सर्दी-गर्मी,
तुमसे ही तो सजती है धरा की धरती।