Chhote Bacchon Ke Liye Poem (Kavita) | बच्चों के लिए 20 लघु व हास्य कविताएं |

बच्चों के लिए सही कविता का चयन, कविता को पढ़ाना और उन्हें याद करवाना, माता-पिता के लिए किसी बड़े टास्क से कम नहीं है। कई माता-पिता को अक्सर इसी उलझन में देखा जाता है। यही वजह है कि bacchonkasansar के इस लेख में हम इसी विषय से जुड़ी जरूरी जानकारी लेकर आए हैं। यहां आप जान पाएंगे कि बच्चों को कैसे कविता पढ़ाएं और याद करवाएं। साथ ही बच्चों के लिए सही कविता का चयन कैसे करें। इसके अलावा, लेख में बच्चों के लिए 20 सरल और मजेदार कविताओं को भी शामिल किया गया है, जिन्हें बच्चे खूब पसंद करेंगे। विषय से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

लेख की शुरुआत करते हैं बच्चों के लिए सही कविता के चुनाव से जुड़ी जानकारी के साथ।

Baccho Ke Liye Kavita | अपने बच्चे के लिए सही कविता कैसे चुनें? 

बच्चों के लिए सही कविताओं का चयन करते समय माता-पिता को इस बात ध्यान रखना होगा कि बच्चे को कविता सिखाने का मुख्य उद्देश्य यही होना चाहिए कि वह कविता उन्हें समझ में आए, अच्छी लगे और उन कविताओं को सुनकर वे खुश हों।

तो आइए, जानते हैं कि बच्चों को पढ़ाने के लिए कैसी कविताओं का चयन करना चाहिए –

  • अगर कोई अभिभावक अपने बच्चे को पहली बार कविता पढ़ा रहे हैं, तो यह ध्यान रहे कि वह कविता बेहद छोटी और सरल होनी चाहिए।
  • कविताओं का चयन करते वक्त ध्यान रखें कि कविता सकारात्मक होनी चाहिए।
  • शुरुआत में ऐसी कविताओं का चयन करें जो चित्रात्मक हो।
  • ऐसी कविताओं का चयन करने की कोशिश करें जिनके अर्थ को खेल-खेल में समझाया जा सके।
  • अभिभावक लघु कविता के साथ-साथ हास्य कविता भी चुन सकते हैं।
  • दैनिक जीवन से प्रेरित कविताओं का भी चुनाव किया जा सकता है।

 Baccho Ke Liye Laghu Kavita | बच्चों के लिए 10 लघु कविताएं 

LAGHU KAVITA
1. ठीक समय पर

ठीक समय पर नित उठ जाओ,
ठीक समय पर चलो नहाओ,
ठीक समय पर खाना खाओ,
ठीक समय पर पढ़ने जाओ।

ठीक समय पर मौज उड़ाओ,
ठीक समय पर गाना गाओ,
ठीक समय पर सब कर पाओ,
तो तुम बहुत बड़े कहलाओ।
 सोहनलाल द्विवेदी

2. चांद का कुर्ता

हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला,
सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।

सन-सन चलती हवा रात भर जाड़े में मरता हूं,
ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूं।

आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का,
न हो अगर, तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का।

बच्चे की सुन बात कहा माता ने, अरे सलोने!
कुशल करे भगवान, लगे मत तुझको जादू टोने।

जाड़े की तो बात ठीक है पर मैं तो डरती हूं,
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूं।

कभी एक अंगुल भर चौड़ा कभी एक फुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है और किसी दिन छोटा।

घटता बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है,
नहीं किसी की भी आंखों को दिखलाई पड़ता है।

अब तू ही यह बता नाप तेरा किस रोज लिवायें?
सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये?
– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

3. कोयल

देखो कोयल काली है,
पर मीठी है इसकी बोली,
इसने ही तो कूक–कूककर,
आमों में मिसरी घोली।

कोयल-कोयल सच बतलाओ,
क्या संदेशा लाई हो,
बहुत दिनों के बाद आज फिर,
इस डाली पर आई हो।

क्या गाती हो? किसे बुलाती?
बतला दो कोयल रानी,
प्यासी धरती देख मांगती,
क्या मेघों से पानी?

कोयल यह मिठास क्या तुमने,
अपनी मां से पाई है,
मां ने ही क्या मीठी बोली,
यह सिखलाई है।

डाल डाल पर उड़ना–गाना,
जिसने तुम्हें सिखाया है,
सबसे मीठे–मीठे बोलो,
यह भी तुम्हें बताया है।

बहुत भली हो तुमने मां की,
बात सदा ही मानी है,
इसलिये तो तुम कहलाती,
हो सब चिड़ियों की रानी।
– सुभद्रा कुमारी चौहान

4. पर्वत कहता शीश उठाकर

पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊंचे बन जाओ।

सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।

समझ रहे हो क्या कहती हैं,
उठ-उठ गिर-गिर तरल तरंग।

भर लो-भर लो अपने दिल में,
मीठी-मीठी मृदुल उमंग।

पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो,
कितना ही हो सिर पर भार।

नभ कहता है फैलो इतना,
ढक लो तुम सारा संसार।
– सोहनलाल द्विवेदी

5. बिल्ली को जुकाम

बिल्ली बोली – बड़ी जोर का,
मुझको हुआ जुकाम,

चूहे चाचा, चूरन दे दो,
जल्दी हो आराम।

चूहा बोला – बतलाता हूं,
एक दवा बेजोड़,

अब आगे से चूहे खाना,
बिल्कुल ही दो छोड़!
– श्री प्रसाद

6. अगर पेड़ भी चलते होते

अगर पेड़ भी चलते होते,
कितने मजे हमारे होते,
बांध तने में उसके रस्सी,
चाहे जहां कहीं ले जाते।

जहां कहीं भी धूप सताती,
उसके नीचे झट सुस्ताते,
जहां कहीं वर्षा हो जाती,
उसके नीचे हम छिप जाते।

लगती भूख यदि अचानक,
तोड़ मधुर फल उसके खाते,
आती कीचड़-बाढ़ कहीं तो,
झट उसके उपर चढ़ जाते।

अगर पेड़ भी चलते होते,
कितने मजे हमारे होते!
– डॉ. दिविक रमेश

7. आए बादल

आसमान पर छाए बादल,
बारिश लेकर आए बादल।

गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में,
ढोल-नगाड़े बजाए बादल।

बिजली चमके चम-चम, चम-चम,
छम-छम नाच दिखाए बादल।

चले हवाएं सन-सन, सन-सन,
मधुर गीत सुनाए बादल।

बूंदें टपके टप-टप, टप-टप,
झमाझम जल बरसाए बादल।
झरने बोले कल-कल, कल-कल,
इनमें बहते जाए बादल।

चेहरे लगे हंसने-मुस्कुराने,
इतनी खुशियां लाए बादल।
– ओम प्रकाश चोरमा

8. सुबह

सूरज की किरणें आती हैं,
सारी कलियां खिल जाती हैं,
अंधकार सब खो जाता है,
सब जग सुंदर हो जाता है।

चिड़ियां गाती हैं मिलजुल कर,
बहते हैं उनके मीठे स्वर,
ठंडी-ठंडी हवा सुहानी,
चलती है जैसी मस्तानी।

यह प्रात की सुख बेला है,
धरती का सुख अलबेला है,
नई ताजगी, नई कहानी,
नया जोश पाते हैं प्राणी।

खो देते हैं आलस सारा,
और काम लगता है प्यारा,
सुबह भली लगती है उनको,
मेहनत प्यारी लगती जिनको।

मेहनत सबसे अच्छा गुण है,
आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है,
अगर सुबह भी अलसा जाए,
तो क्या जग सुंदर हो पाए?
– श्री प्रसाद

9. एक किरण आई छाई

एक किरण आई छाई,
दुनिया में ज्योति निराली,
रंगी सुनहरे रंग में,
पत्ती-पत्ती डाली डाली।

एक किरण आई लाई,
पूरब में सुखद सवेरा,
हुई दिशाएं लाल,
लाल हो गया धरा का घेरा।

एक किरण आई हंस-हंसकर,
फूल लगे मुस्काने,
बही सुगंधित पवन,
गा रहे भौरें मीठे गाने।

एक किरण बन तुम भी,
फैला दो दुनिया में जीवन,
चमक उठे सुन्दर प्रकाश से,
इस धरती का कण कण।
– सोहनलाल द्विवेदी

10. जब सूरज जग जाता है

आंखें मलकर धीरे-धीरे,
सूरज जब जग जाता है।
सिर पर रखकर पांव अंधेरा,
चुपके से भग जाता है।

हौले से मुस्कान बिखेरी,
पात सुनहरे हो जाते।
डाली-डाली फुदक-फुदक कर,
सारे पंछी हैं गाते।

थाल भरे मोती लेकर के,
धरती स्वागत करती है।
नटखट किरणें वन-उपवन में,
खूब चौंकड़ी भरती हैं।

कल-कल बहती हुई नदी में,
सूरज खूब नहाता है।
कभी तैरता है लहरों पर,
डुबकी कभी लगाता है।

पर्वत-घाटी पार करे,
मैदानों में चलता है।
दिनभर चलकर थक जाता,
सांझ हुए फिर ढलता है।

नींद उतरती आंखों में,
फिर सोने चल देता है।
हमें उजाला दे करके,
कभी नहीं कुछ लेता है।
 रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

बच्चों के लिए 10 हास्य कविताएं

 11.क्रिकेट

बिल्ली यह बोली चूहों से,
आओ खेलें खेल,
प्यारा क्रिकेट, खेल निराला,
मन का होगा मेल।

लकड़ी की थी गेंद और था,
खूब बड़ा-सा बल्ला,
खेल शुरू जब हुआ फील्ड में,
मचा धमाधम हल्ला।

चूहे ने दिखलाई फुर्ती,
कसकर मारा छक्का,
होश उड़े फिर तो बिल्ली के,
रह गई हक्का-बक्का।

भूल गई वह अपना वादा,
झट चूहों पर झपटी,
चूहे बोले-भागो, भागो,
यह तो निकली कपटी।
– प्रकाश मनु

12. मुर्गे की शादी

ढम-ढम, ढम-ढम ढोल बजाता,
कूद-कूदकर बंदर,
छम-छम घुंघरू बांध नाचता,
भालू मस्त कलंदर!

कुहू-कुहू-कू कोयल गाती,
मीठा मीठा गाना,
मुर्गे की शादी में है बस,
दिन भर मौज उड़ाना!
– श्री प्रसाद

13. बतूता का जूता

इब्न बतूता पहन के जूता,
निकल पड़े तूफान में।

थोड़ी हवा नाक में घुस गई,
थोड़ी घुस गई कान में।

कभी नाक को कभी कान को,
मलते इब्न बतूता,
इसी बीच में निकल पड़ा उनके पैरों का जूता।

उड़ते-उड़ते उनका जूता,
जा पहुंचा जापान में।

इब्न बतूता खड़े रह गए,
मोची की दुकान में।
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

14. मेंढक मामा

मेंढक मामा, मेंढक मामा,
क्यों करते हो जी हंगामा?

टर्र-टर्र की सुनकर तान,
फूट गए अपने तो कान।

छोड़ो भी यह गाल फुलाना,
दिन भर राग बेसुरा गाना।

बात हमारी मानो, मामा,
पहले सीखो सारेगामा।
– प्रकाश मनु

15. टूट गया किस्से का तार

टूट गया किस्से का तार,
अगड़म-बगड़म गए बाजार,
वहां से लाए मोती चार,
दो मोती थे टूटे-फूटे,
बाकी दो हाथों से छूटे,
अगड़म-बगड़म दोनों रूठे।

आगे आया नया बाजार,
पीं-पीं बाजा, सीटी चार,
लेकर बोले अगड़म-बगड़म,
लिख लो, यह सब रहा उधार,
पैसे कल ले लेना यार।
अगड़म उछल-उछलकर चलता,
बगड़म फिसल-फिसलकर बढ़ता,
पीछे पड़ गए कुत्ते चार।

कूद गए पानी में दोनों,
झटपट पहुंचे नदिया पार,
अगड़म रोता इधर खड़ा है,
बगड़म भी उखड़ा-उखड़ा है,
अब ना पीं-पीं, अब ना बाजा,
फूटा घुटना, फूट गया सिर-
टूट गया किस्से का तार।
प्रकाश मनु

16. टीचर जी मत पकड़ो कान

टीचर जी!
मत पकड़ो कान,
सर्दी से हो रहा जुकामI

लिखने की नहीं मर्जी है,
सेवा में यह अर्जी है।
ठंडक से ठिठुरे हैं हाथ,
नहीं दे रहे कुछ भी साथI

आसमान में छाए बादल,
भरा हुआ उनमें शीतल जल।
दया करो हो आप महान,
हमको दो छुट्टी का दान।

जल्दी है घर जाने की,
गर्म पकोड़ी खाने की।
जब सूरज उग जाएगा,
समय सुहाना आयेगा।
तब हम आयेंगे स्कूल,
नहीं करेंगे कुछ भी भूलI
– डॉ रूप चंद्र शास्त्री ‘मयंक’

17. बिल्लो रानी कहां चली

बिल्लो रानी, कहां चली,
कहां चली जी, कहां चली?

मैं जाऊंगी बड़े बजार,
खाऊंगी अब टिक्की चार।

सुना, वहां की चाट गजब है,
टिक्की का तो स्वाद अजब है।

लच्छूमल की दही-पापड़ी,
खाऊंगी मैं थोड़ी रबड़ी।

फिर आऊंगी झटपट-झटपट,
आकर दूध पिऊंगी गटगट।
– प्रकाश मनु

18. फुदकू जी फिसल गए

यहां गए, फिर वहां गए,
फुदकू जी अब कहां गए?

जहां-जहां जाते फुदकू जी,
एक हंगामा होता है,
दुनिया उथल-पुथल हो जाए,
ऐसा ड्रामा होता है।
वहां-वहां पर धूम मचाई,
फुदकू जी जब, जहां गए।

चिड़ियाघर में भालू देखा,
तो नाचे भालू बनकर,
हाथी एक नजर आया तो,
उस पर जा बैठे तनकर।
बोर हुए, तो झटपट कूदे,
फुदकू जी अब कहां गए?

कितनी ऊधमबाजी होगी,
होगी कितनी मनमर्जी,
बोलो फुदकू, प्यारे फुदकू,
मान नहीं लेते क्यों गलती?
थोड़ा तो अब घर पर बैठो,
सुनकर वे तमतमा गए।
प्रकाश मनु

19. लल्लू जी की पतंग

बातें करे हवा के संग,
लल्लू जी की लाल पतंग।

आसमान में लहर रही है,
एक जगह न ठहर रही है।

इधर भागती उधर भागती
खूब करे मस्ती हुड़दंग।

हरी, गुलाबी, नीली, काली,
की इसने छुट्टी कर डाली।

बीस पतंगें काट चुकी है,
बड़ी बहादुर, बड़ी दबंग।

सभी पतंगों से सुंदर है,
सबकी इस पर टिकी नजर है।

ललचाता है सबको इसका,
अति प्यारा मनमोहक रंग।
– शादाब आलम

20. चाबी वाला जोकर

जन्मदिवस पर चाचा लाए,
चाबी वाला जोकर,
मुझको खूब हंसाया करता,
ताली बजा-बजाकर।

खूब नुकीली, पर तिरछी-सी,
इसकी जो है टोपी,
उसे देखकर खुश होता है,
नन्हा भैया गोपी।

हाथ हिलाकर, गाल फुलाकर,
यह है डांस दिखाता,
डांस दिखाकर थोड़ा-थोड़ा,
गर्दन को मटकाता।

और अंत में बड़े मजे से,
करता है-आदाब,
हंस-हंस कहते मम्मी-पापा-
इसका नहीं जवाब!
– प्रकाश मनु