गुड्डा बुड्डा / Gudda Budda

गुड्डा बुड्डा

गुड्डा-बुड्डा

गुड्डा कहे बुड्डा से,
“चलो खेलें जीवन के रस से।
तुम हो मस्त, मैं हूँ चंचल,
संग बिताएँ पल-पल सुंदर।”

बुड्डा बोला, “अरे गुड्डा,
तुम्हारी बातों में है जादू गज़ब का।
चलो बनाएँ सपना अनूठा,
खेल-खिलौनों का मेला सच्चा।”

गुड्डा लाया रंग-बिरंगे कपड़े,
बुड्डा ने सजाई जादुई गढ़े।
दोनों ने रच दी नई कहानी,
जहाँ हँसी-खुशी की थी निशानी।

गुड्डा कहे, “चलो उड़ें आसमान में,
सूरज छुएँ या डूबें चाँद की बाहों में।
हमारी ये दुनिया निराली हो,
हर दिन की सुबह खुशहाली हो।”

बुड्डा मुस्काया, बोला प्यारे,
“सपने देखो पर पक्के सहारे।
जैसे मैं हूँ तुम्हारे संग,
वैसे ही थामे रखना जीवन का रंग।”

दोनों का संग था मस्ती भरा,
हर पल में खुशियों का डेरा।
गुड्डा-बुड्डा की जोड़ी सिखाती,
मित्रता में जीवन की मिठास समाती।

इस कहानी में छिपा है जादू,
सपने, संग, और हँसी का वजूद।
गुड्डा-बुड्डा की ये प्यारी बात,
हर दिल में भर दे सच्ची सौगात।