काले-काले बादल
काले-काले बादल छाए,
आसमान में डेरा जमाए।
गरज-बरस की बातें करते,
धरती को शीतलता भरते।
बिजली संग चमकी रौशनी,
धरती मां की उठी चिलमनी।
बारिश की बूंदें जब बरसें,
खुशियों के गीत मिलकर तरसें।
नदियां भरतीं अपना आंचल,
खेतों में छा जाता मंगल।
पंछी भी गाते मीठे गाने,
प्रकृति सुनाती नई तराने।
काले-काले ये बादल प्यारे,
खुशबू लाते होंठों पर हमारे।
आशा और जीवन का संदेश,
हर दिल में भरते नवल समवेश।