कुकड़ूं कूं
सूरज उगते ही देता संदेश,
मुर्गा बोले, “जागो विशेष!”
कुकड़ूं कूं की आवाज लगाता,
हर सुबह सबको जगाता।
खेतों में गूंजे इसका गाना,
जागो किसान, करो काम निपटना।
घर-घर इसकी गूंज है प्यारी,
सुबह की शुरुआत है न्यारी।
पंख फड़फड़ाए, सिर उठाए,
अपनी टोली संग इतराए।
दाने चुगे, मस्त हो जाए,
सूरज संग हर दिन मुस्काए।
मुर्गा कहे, “ना देर करो,
हर दिन को तुम बेहतर करो।
मेहनत और सच्चाई अपनाओ,
जीवन को सुंदर बनाओ।”
आओ सुनें इसकी पुकार,
हर सुबह लाए नया विचार।
कुकड़ूं कूं से सीखें हम,
हर दिन जिएं खुशी के संग।