टन टन टन, घंटी बोली कविता
टन टन टन, घंटी बोली
टन टन टन, घंटी बोली,
बच्चों की टोली दौड़ी-भागी।
स्कूल का आंगन चहक उठा,
नए सपनों से मन महक उठा।
घंटी ने दिया संदेश
पहली घंटी, पढ़ाई का समय,
बस्ते से निकला ज्ञान का रत्न।
कक्षा में सब सुनते ध्यान से,
शिक्षा का दीप जलता मन से।
मध्यान्ह की मस्ती
दोपहर की घंटी जब बजे,
खेल के मैदान में सब दौड़ें।
हंसी-ठिठोली, मस्ती का मेला,
घंटी ने भरी सबमें रंगों का रेला।
छुट्टी की घंटी का इंतजार
टन टन टन, जब अंतिम बजे,
बच्चों के चेहरे पर मुस्कान सजे।
मां के पास दौड़ने की जल्दी,
पर मन में स्कूल की याद भी हल्की।
निष्कर्ष
टन टन टन, घंटी सुन लो,
जीवन में भी इसका पाठ गुन लो।
समय के साथ बढ़ते जाओ,
हर पल का आनंद उठाओ।