बच्चे को समझदार बनाना चाहते हैं तो कभी ना करें ये गलतियां
हर दंपती के लिए मां-पिता बनना एक बेहद खूबसूरत पल होता है. लेकिन दूसरी तरफ पैरेंट्स बनना इतना आसान काम भी नहीं है. कई मौके आते हैं जब आप खुद को एक पैरेंट्स के तौर पर बुरी तरह असफल महसूस करते हैं. हालांकि हर पैरेंट्स की जिंदगी में ऐसे उतार-चढ़ाव आते रहते हैं
बच्चे आप की जिंदगी में किसी तोहफे से कम नहीं होता है. आप खुद को खुशकिस्मत समझिए और अपने बच्चे को भी ऐसा ही महसूस कराइए. कई लोग कुछ वजहों से मां-बाप नहीं बन पाते हैं
और उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश यही रह जाती है कि उनकी भी कोई औलाद हो. इसलिए कभी भी अपने बच्चों पर अफसोस ना करें और ना ही अपने बच्चों के अंदर ऐसी भावनाएं पनपने दें.
भाई-बहन हों या फिर कोई और. आपको यह समझना चाहिए कि हर बच्चा अपने आप में खास होता है. हर बच्चे के अलग सपने और सोच हो सकती है और यह पैरेंट्स का काम है कि वे उनकी भावनाओं और सपनों का सम्मान करें.
वह धीरे-धीरे हीनभावना का शिकार हो सकता है और उसका आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे को उसी रूप में स्वीकार करें जैसे वो हैं. वे अपनी जिंदगी में जो बनना चाहते हैं, उन्हें बनने दें. उन्हें जिस चीज में दिलचस्पी है,
वह बच्चा बच्चा नहीं है. इसका यह मतलब नहीं है कि आप उनकी हर गलती पर आंख मूंद लें. बस बात इतनी है कि उन्हें सजा और डांट एक अनुपात में हो.
किसी भी परिस्थिति में उन्हें शारीरिक रूप से सजा ना दें. अपना सम्मान खोने के साथ-साथ बच्चों को पीटना उन्हें हिंसक बना देती हैं.
आपका बच्चा दूसरों से भी मारपीट करना शुरू कर देगा और उसके अंदर आक्रामकता बढ़ती जाएगी. अपने बच्चों को सबक सिखाने के लिए दूसरे तरीकों का इस्तेमाल करें लेकिन उन्हें मारें-पीटे नहीं.
आपसे ज्यादा आपके बच्चे को कोई नहीं समझ सकता है इसलिए आपसे बेहतर कोई यह तय नहीं कर सकता है कि आपके बच्चे के लिए क्या सही है और क्या गलत.
अपने बच्चे के साथ दोस्त की तरह बर्ताव करना चाहिए लेकिन आप इस बात का ख्याल रखें कि यह आपको पैरेंट्स बनने से नहीं रोके.
दोस्त हर गलतियों को नजरअंदाज करते हैं लेकिन पैरेंट्स को अपने बच्चों की गलतियां और गलत फैसले करने से रोकना चाहिए.
आप इस बात से ना डरें कि उन्हें रोकने और सलाह देने से वे आपसे दूर हो जाएंगे या नाराज हो जाएंगे.
बच्चे को सही रास्ता बताकर नहीं छोड़ देना है बल्कि अपने बच्चे के साथ कुछ कदम चलना भी है. जैसे आप बच्चे को साइकिल चलाने के लिए कुछ दिन हैंडल थामती हैं,
वैसे ही हर एख चीज में पहले उसके साथ कुछ कदम चलें. शब्दों से ज्यादा आपकी मदद उसके लिए जरूरी है.